♦हस्ते थे हम भी अक्सर,
तराने भी गुनगुनाते थे,
दिल की बातें अक्सर युहीं कह जाते थे..
अब रोते है हम युहीं रातों में
दिल की बातें दिल में रहीं।
एक चाहा था बस साथ तुम्हारा,
पर यही बात की कमी रही ,
सूख चले हैं इन आँखों से आंसू भी अब,
गर्दिश आसमान में देख पा रहा हूँ।
खुद भीगकर बचाया था तुमको बारिश में ,
वादा परस्ती अब तुमसे चाह रहा हुँ।
गर निभाओ वादा तो ,एह खुदाह,
इन बारिशों को कभी थमने ना देना,
जो ना निभाओ इस बार भी,
तो एह खुदाह, इन् साँसों को भी चलने ना देना।♦
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